बुधवार, 18 अप्रैल 2018

हमे दिक्कत उन परदेशियो से है जो....

हमे दिक्कत उन परदेशियो से है जो....








मारवाड़ मे रह रहे मारवाड़ियो से हमे कोई ऐतराज़ नही,
बिहार मे रह रहे बिहारियो से हमे कोई शिकायत नही,
गुजरात मे रह रहे गुजरातियो से हमे कोई गुरेज़ नही,
राजस्थान मे रह रहे राज्सथानियो से हमे कोई परहेज़ नही,

उन तमाम भारतीयो से हमे कोई दिक्कत नही जो भाषावार प्रांतीय ढाँचे के अनुसार अपने अपने राज्यो मे काम कर रहे है, राजनीति कर रहे है और अपने प्रांत व प्रांतीय लोगो के लिए कार्यरत है।

हमे दिक्कत उन परदेशियो से है जो अपना राज्य छोड़कर छत्तीसगढ़ मे आकर यहाँ के स्थानीय लोगो अर्थात हम छत्तीसगढ़ियो के हित अधिकारो का हनन कर हमारा शोषण करते आ रहे है।

दिक्कत उन परदेशियो से है जो छत्तीसगढ़ की राजनीति पर काबिज़ होकर यहाँ राज कर रहे है,
दिक्कत उन बाहरी लोगो से है जो छत्तीसगढ़ की सरज़मी पर चोरी, डकैती, गुंडागर्दी, भूअधिग्रहण, बालात्कार, हत्या, तस्करी आदि जैसे तमाम अपराधो को अंज़ाम देकर इस धरती को दूषित कर रहे है।
छत्तीसगढ़ मे सत्ता के माध्यम से अपने मूल राज्य के लोगो को बहुतायत मे यहाँ लाकर छत्तीसगढ़ के जल-जंगल-ज़मीन पर कब्ज़ा करने वालो से दिक्कत है।

आखिर अन्य प्रदेशो से लोटा लेकर आने वाले इन भिखारियो के पास ऐसा कौन सा अली बाबा का खज़ाना हाथ लग गया या फिर किसी अलादीन की चिराग हाथो मे आ गयी जो यह भिखरी देखते ही देखते छत्तीसगढ़ के पूँजिपति बन गए ?
असलियत तो यह है कि न इनके पास कोई अलादीन का चिराग है और न ही किसी अली बाबा का खज़ना इनके हाथ लगा। यदि इनके हाथ कोई लगा है तो वह है छत्तीसगढ़ की भोली भाली जनता, जिन्हे इन परदेशियो ने साम-दाम दंड-भेद करके लूटा है।
किसी की ज़मीन लूटी है, तो किसी का घर लूटा है
किसी को धर्म के नाम पर लूटा है तो किसी को जाति के नाम पर, किसी को षडयंत्र पूर्वक लूटा है तो किसी से संबंध स्थापित कर....
वरना अपने मूल राज्य के यह नालायक लोग छत्तीसगढ़ आकर यहाँ के लायक कैसे हो गए ?
इन परदेशियो के पास षडयंत्र, छल-कपट के सिवाए कोई दूसरी प्रतिभा नही है।

अपने अपने प्रदेशो मे दो वक्त की रोटी तक नही कमा पाने वाले यह नालायक लोग आज हमारा नेतृत्व कर रहे है, यह लोग छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री, मंत्री, सांसद, विधायक, महापौर एवं भिन्न भिन्न संगठनो के नेता बन बैठे है। इनमे से किसी का बाप जेब कतरा था तो किसी का गांजा तस्कर, किसी का बाप लोहा चोरी करता था तो किसी का चना चोर....

"इन्ही चोरी के पैसो से लोटा लेकर आने वाले भिखारी परदेशियो के वंशज आज छत्तीसगढ़ की सत्ता पर आसीन है। और हम छत्तीसगढ़िया इन परदेशियो के पिछे झंडा उठाकर नारे लगाते है।"

आज श्रद्धेय हरि ठाकुर जी की दो लाइन ज़हन मे है

!! लोटा लेके आइन इंहा तेन टिकाइन बंगला !!
!! जांगर टोर कमाने वाला हे कंगला के कंगला !!

जोहार

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें