शुक्रवार, 8 सितंबर 2017

स्कूल शिक्षा मंत्री के बंगले में अपमानित हुए छत्तीसगढ़िया व छत्तीसगढ़ी


■ मंत्री केदार कश्यप के पी ए ने किया छत्तीसगढ़ी भाषा तथा छत्तीसगढ़ियो का अपमानअपमान
■ क्रान्ति सेना ने किया घोर निंदा  पी ए आर एन सिंह पर कार्रवाई करने की माँग की
 
रायपुर : छत्तीसगढ़ी भाषा को स्कूलों में लागू कराने की माँग को लेकर ज्ञापन सौंपने गये छत्तीसगढ़ियो को स्कूल शिक्षा मंत्री केदार कश्यप के पी ए आर एन सिंह ने अपमानजनक व्यवहार कर भगाया। घटना शिक्षक दिवस के बाद की है, राजभाषा मंच के प्रांतीय संयोजक नंदकिशोर शुक्ला तथा छत्तीसगढ़िया महिला क्रान्ति सेना से लता राठौर के साथ पदाधिकारियों ने राज्य के स्कूलों में महतारी भाषा छत्तीसगढ़ी मे पढ़ाई की माँग को लेकर मंत्री जी से आग्रह करने उसके सरकारी आवास पर गये थे पर आर एन सिंह ने दरवाजे पर हि रोक दिया और अपमानजनक व्यवहार किया। इतना ही नहीं सिंह ने यह भी कह दिया कि छत्तीसगढ़ी ऐसी भाषा नहीं है, जिसे स्कूलों में पढ़ाया जाए। एक पी ए के दुव्यर्वहार को सहकर छत्तीसगढ़ी की सेवा करने वाले भले ही अपमानित होकर लौट गए हों, लेकिन इस घटना की पूरे प्रदेश में व्यापक प्रतिक्रिया होने लगी है।

इस अपमान का पुरे प्रदेश मे घोर निंदा किया जा रहा है, क्रान्ति सेना प्रदेश प्रवक्ता यशवंत वर्मा ने कहाँ यह सिर्फ हमारी मातृभाषा का अपमान नहीं पुरे ढ़ाई करोड़ छत्तीसगढ़ियो का अपमान है। राज्य में भाषा संस्कृति लोक परंपरा महापुरुष देवी देवताओं का लगातार उपेक्षा तथा अपमान यहाँ की सरकार कर रही है। प्रदेश मे छत्तीसगढ़ियो का हनन हो रहा है, इस तरह के दुर्व्यवहार से छत्तीसगढ़िया स्वाभिमान को ठेस पहुचा है।

गौरव होता है अपनी भाषा पर : शुक्ला
नंदकिशोर शुक्ल ने कहा कि यह केवल उनका नहीं बल्कि छत्तीसगढ़ के उन ढाई करोड़ लोगों का अपमान है, जो इस भाषा से प्यार करते हैं। अपनी भाषा में बात करने, पढ़ाई-लिखाई करने से गर्व की अनुभूति होती है। शुक्ल ने यह भी कहा कि दो साल पहले राज्य सरकार ने स्कूलों में ओडिया भाषा को पढ़ाए जाने का आदेश जारी किया था। इतना ही नहीं हाल ही में स्कूलों में ओडिसी नृत्य की भी अनिवार्यता की गई है। पड़ोसी से प्यार और अपनों के साथ तकरार…अब यह छत्तीसगढ़ में नहीं चलेगा।

समाज मे दिखा जबर आक्रोश
इस घटना के बाद छत्तीसगढ़ समाज लामबंद होने लगा है क्योंकि घटना के एक दिन बात तक मंत्री केदार कश्यप ने अब तक कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है। उन्होंने इस पर खेद भी नहीं जताया है और न ही छत्तीसगढिय़ों को अपमानित करने वाले निज सहायक आरएन सिंह पर कोई प्रभावी कार्रवाई की है। छत्तीसगढ़िया क्रांति सेना के अलावा छत्तीसगढ़िया समाज के नेता अब आपस में चर्चा कर रहे हैं और बहुत जल्द इस पर प्रभावी आंदोलन की रणनीति तैयार की जा रही है ताकि गैर छत्तीसगढिय़ों पर यह दबाव बनाया जा सके कि छत्तीसगढिय़ों का अपमान अब बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।

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